…….हमने उसी हवेली को नीलाम कर दिया?

 

जेपी रावत
संदेश महल समाचार

जिसको बचाए रखने में अज्दाद बिक गए
हमने उसी हवेली को नीलाम कर दिया?

आजादी के महासंग्राम में बिना आराम घर, सुख सुविधाओं को हराम कर दिया। उबलते ज्जबात को आत्म सात कर देश के युआवो ने जिस परिवेश का निर्माण किया आज उसी देश के परिवेश में भारत की शान स्वतन्त्रा शताब्दी की अमिट शान,लाल किला निलाम हो गया।माँ भारती को आजाद कराने के लिये लड़ते लड़ते शहीद होने वाले रणबांकुरो की आत्मा कराहती होगी।आश्चर्यचकित होगी बिश्मित होगी।देश के आवरण में आजादी का सम्बरण करने के लिये आजाद हिन्द फौज के महानायक सुभाष चन्द बोस की आखरी इच्छा थी देश को आजादी दिलाने के बाद लाल किले पर भारतीय परचम को बुलन्द कर दुनियाँ के इतिहास में अमिट ईबारत तहरीर करना लेकीन सियासत के गद्दारो ने सर्वोच्च कुर्सी को हथियाने के लिये आजादी के दीवाने को देश निकाला करार दिया। क्रांति की अलख जगाने वाले रणबांकुरो को अग्रेजी हुकूमत से मिलकर नेस्नाबूत कर दिया। कुछ इस तरह का घृणास्पद कारनामा कर गये की महान देश भक्त लूटेरा बन गये।

 

1857 से शुरू हुयी क्रातिकारी जंग में शहादत को ही ईबादत समझने वाले नौजवान गुलामी की जंजीर को तोड़ने के लिये तूफान खड़ा कर दिया। तमाम रियासतें बर्बाद हो गयी।अंग्रेजों की चाटुकारिता करने वाली रियासतें आबाद होकर।देश की आजादी के बाद राष्ट्र भक्त बन गयी। कायरो की टोली जाहीलों की अगुवाई में गाने लगी मिल गयी आजादी बिना खड्ग बिना ढाल।साबरमती के लाल तूने कर दिया कमाल। बाह भाई क्या बात है।अग्रेजी हुकूमत भी मुस्कराती होगी भारतीय चाटुकारो की इस ईस बन्दना को देखकर।आजाद के पीस्टल की आवाज।भगत सिह का ऐसम्बली मे किया गया बम गर्जना।सुबाष चन्द बोस की आजाद हिन्द फौज का दुनियाँ के फलक पर भारतीय परचम का फहराना।उधम सिह का ब्रिटेन के भीतर घुस कर सारी हुकूमत को ललकारना।सब कुछ नयी पीढी भूलती जा रही है।नाथू राम गोडसे के द्वारा किया गया गाँधी बध उचित कोई नही ठहराता।लेकीन जहाँ राष्ट्र के अस्मिता को राष्ट्रपिता के उपाधी से बिभूषित ब्यक्ति द्वारा प्रदुषित लगातार किया जा रहा हो ऐसे में इस तरह के ब्यवस्था के पोषक का जिन्दा रहना देश के लिये घातक है।शहादत का रास्ता चुनने वाले कभी खुद की जिन्दगी घर परिवार के लिये कुछ सोचे नही।उनके लिये सब कुछ देश रहा।सारा देश ही घर उनके जीने का परिवेश रहा।उनकी शहादत को कोटिश: प्रणाम।

जैसे जैसे समय आगे बढ रहा है वैसे ही वैसे लोग कलुषित विकृत इतिहास का बहिष्कार करने लगे है।वास्तविकता को जानकर सार्थकता पर बहस करने लगे है।जागरूक हो रहे समाज में आज भी भ्रान्तियां को समागम है।शेर की तरह दहाड़ने वाले आजाद ने खुद को गोली क्यों मारी।चीता से भी फुर्तीला भगत सिह बम फेंककर क्यों सलेन्ङर कर गये। दुनियाँ में आजाद हिन्द फौज का डंका बजाने वाले सुभाष चन्द बोस को क्यों देश निकाला किया गया।उधम सिह ब्रिटेन में जाकर जालियांवाला बाग के बहसी दरिन्दे को गोली क्यों मारी।यह तमाम सवाल आज जनमानस में यक्ष प्रश्न बनकर चर्चा में है।अब बहुत हो चुका गुलामी के बिकृत इतिहास का संचालन। अब लोग सच की ईबारत को शौक से तलाश रहे है। आधुनिक होते समाज में आज तमाम ज्वलन्त मुद्दा उम्दा इतिहास की बिकृत ईबारतो से परिपूर्ण पुस्तकों के बिमोचन को लेकर परिचर्चा कर रहा है।देश के लिये बलिदान होना वालों को बहिष्कृत कर विदेशी आक्र्न्ताओ के गौरव गाथा का बिस्तार पूर्वक बर्णन किया गया है। आखिर क्यो। उन ईबारतो को पढाकर देश की नव संरचना की बिवेचना करने वालों को क्या हासिल होगा।ढपोरशंखी, काल्पनिक,कलुषित देश की गरिमा के बिरूद्ध यद्ध की बिभिषिका के बर्णन का क्या औचित्य।लेकिन गद्दार सिरासतदारो ने देश को मानसिक गुलाम बनाने का मकसद लिये इतिहासकारों के उन्ही ईबारतो को तरजीह दिये जिसका कोई मतलब नहीं रहा।
आखिर क्यों उन रणबांकुरो को इतिहास के पन्नो से बिरक्त कर दिया गया है। जिनकी शहादत माँ भारती की ईबादत में हो गयी।आजादी के लिये बर्बादी का जो नग्न नजारा अग्रेजी हुक्मरानों ने देखा उसको इतिहास मे जगह क्यो नहीं दिया गया है।
यह सवाल लोगो के दिल में मलाल पैदा कर रहा है। लोग बैचैन है। जानना चाहते है ऐसा क्यो हुआ।इसके लिया जिम्मेदार कौन है।सब कुछ जानते हुये भी बर्तमान क्यो मौन है। बदलते जमाने के आधुनिक जागरूकता में सर्वाधिक खोज खबर उन रहबर की हो रही है जिनके दुरभिसन्धि के चलते आजादी के मचलते परवानों को माँ भारती के दीवानो को शहादत के राह मे भी झंझावात झेलना पड़ा है। हर रोज खून की होली खेलना पड़ा है। समय आ गया है सच को सतह पर लाकर गद्दारो के कलंकित कारनामो को जनमानस मे प्रचारित कर गुमनामी के तरफ बढ रही रणबांकुरो की जीवनी को आने वाली पीढी के लिये सुरक्षित किया जाय।ताकि देश की आजादी की असली तस्बीर को अगली शदी के युवा समझ सके। जान सके।महाराणा प्रताप से लेकर झाँसी की रानी की कहानी भी गुमनामी के तरफ जा रही है बस लोगो को याद दिलाया जा रहा है मिल गयी आजादी बिना खड्ग बिना ढाल।महान कबि श्यामनारायन पांडेय की महान कृति हल्दी घाटी चढ चेतक पर तलवार लिये करता था भूतल पानी को। राणा प्रताप सिर काट काट करता था सफल जवानी को।
उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा मुलायम सरकार में ही बाहर कर दिया गया।गन्दी मानसिकता से लबरेज जिनका आजादी महासग्राम से खानदानी दूर दूर तक नाता रिश्ता नही था। आज सियासत का सानिध्य पाकर मगरूर हो गये थे।लेकीन,वक्त ने आशक्त बना दिया।वक्त बदलता है वक्त ने ही बता दिया।जब तक धर्म कर्म मजहब के नाम पर सियासी खेल होता रहेगा देश के परिवेश मे बैमनश्यता का सानिध्य पाकर बिखंडन मुस्कराता रहेगा।