रिपोर्ट
जेपी रावत
लखनऊ संदेश महल समाचार
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी राजेश दत्त बाजपेई की नेशनल शूटर नाबालिग बेटी ने मां मालिनी
48 वर्ष और बडे़ भाई सर्वदत्त 19 वर्ष को गोली मारकर हत्या कर दी।
घठना को अंजाम देने के बाद फोन कर अपनी नानी को सूचना दी।कंट्रोल रूम को ज्यों ही इस दोहरे हत्याकांड की सूचना मिली तो हड़कंप मच गया। तत्काल डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी अैर पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय मय समेत फोरेंसिक विशेषज्ञों और डॉग स्क्वॉड ने घटनास्थल पहुंचकर छानबीन शुरू की। पुलिस को मौके से पॉइंट 22 बोर की एक पिस्टल मिली है। पुलिस आयुक्त ने बताया कि अधिकारी की बेटी डिप्रेशन की मरीज है। उसने किसी बात को लेकर पलंग पर सो रही मां और भाई पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां दाग दी जिसमें से मालिनी को दो और सर्वदत्त को एक गोली लगी। उसेे हिरासत में ले लिया गया है। वारदात में इस्तेमाल पिस्टल बरामद कर ली गई है।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि राजेश दत्त बाजपेई रेलवे बोर्ड में बतौर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इन्फार्मेशन तैनात हैं और दिल्ली में रहते हैं। लखनऊ स्थित गौतमपल्ली के विवेकानंद मार्ग पर बंगला नंबर एक में उनकी पत्नी मालिनी, बेटा सर्वदत्त और 16 वर्षीय बेटी रह रही थी। दोपहर करीब सवा तीन बजे पुलिस कंट्रोल रूम को नानी ने मालिनी और सर्वदत्त की हत्या की सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस को अधिकारी की बेटी सदमे में मिली। उसके दोनों हाथों पर धारदार हथियार से खरोंचों के निशान थे। वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी।पुलिस ने घुमा-फिराकर बेटी से की पूछताछ तो जुर्म को कुबूला।
पुलिस की एक टीम ने डॉक्टर को बुलवाकर अधिकारी की बेटी इलाज शुरू कराया। मां-बेटे के शव पलंग पर पड़े हुए थे। दोनों के शरीर पर चादरें थीं। शवों की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों को सोते वक्त गोलियां मारी गई हैं। मालिनी की कनपटी पर दो गोलियां लगी थीं, जबकि सर्वदत्त के सिर पर माथे से ऊपर के हिस्से में एक गोली लगी है। दो गोलियां शीशे पर भी लगी थीं। बंगले की जांच में लूटपाट या बदमाशों के आने की पुष्टि नहीं हुई। पुलिस ने हत्या का राज घर पर ही होने की आशंका से छानबीन करते हुए बंगले के पीछे स्थित सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाले नौकरों से पूछताछ की तो बेटी पर शक गहरा गया। पुलिस ने घुमा-फिरा कर बेटी से पूछताछ की तो उसने हत्या की बात कुबूल करते हुए पिस्टल बरामद करा दी।इस दोहरे हत्याकांड की सनसनीखेज वारदात के बाद पुलिस ने आरडी बाजपेई का बंगला खंगाला तो बाथरूम में एक अजीबोगरीब बात दिखी। शीशे पर लाल रंग से ‘डिसक्वालीफाइड ह्यूमन’ लिखा था, और बीचो-बीच गोली का निशान था। आरोपी ने बताया कि उसने जैम से लिखकर खुद ही गोली मारी थी। हालांकि, उसने ऐसा क्यों लिखा? इस बारे में पुलिस ने जानकारी से इनकार किया है। पुलिस आयुक्त का कहना है कि पुलिस की एक टीम आरोपी छात्रा से जानकारी ले रही है।
आरोपी अपने दोनों हाथों में रेजर से 100 से अधिक वार किए थे। पुलिस आयुक्त का कहना है कि उसने अवसाद के चलते खुद को लहूलुहान किया था। उसके हाथों पर लगी चोटों में से कुछ पुरानी भी थीं।
पुलिस आयुक्त ने बताया कि मां और भाई की हत्या की आरोपी राष्ट्रीय स्तर की शूटर है। वह 10 मीटर पिस्टल इवेंट में हिस्सा लेती थी। वर्ष 2014 में उसने पश्चिम बंगाल रायफल एसोसिएशन कोलकाता की तरफ से आयोति 57वीं नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप कंपटीशंस में हिस्सा लिया था। वह लोरेटो स्कूल में हाईस्कूल की छात्रा है। उसका भाई सर्वदत्त गोमीतनगर के संस्कृत विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई कर रहा था।पुलिस आयुक्त ने बताया कि आरोपी छात्रा से जब बातचीत की जा रही थी तो उसने अपने दोनों हाथ पैंट की जेब में डाल रखे थे। हाथों को दुपट्टे से ढक भी रखा था। ऐसा लगा जैसे वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है। उसके हाथों से दुपट्टा हटवाया गया तो कोहनी तक पट्टी बंधी दिखी। हथेलियों पर भी कई ताजे कट लगे हुए थे। पट्टी खुलवाकर देखा तो 100 से अधिक कट के निशान देखकर सब हैरान रह गए। पूछने पर उसने बताया कि रेज़र से यह चोटें उसने खुद लगाई हैं। यह सुनकर पुलिस का माथा ठनका और उससे एक ही सवाल तरीका बदल-बदलकर पूछा गया। हालांकि, पुलिस को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और उसने मां और भाई को गोली मारने की बात कुबूल कर ली।केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आदर्श त्रिपाठी का कहना है कि मानसिक बीमारी का दायरा बहुत बड़ा होता है। इस मामले में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। आमतौर पर डिप्रेशन से पीड़ित ज्यादातर मरीज खुद को नुकसान पहुंचाते हैं। दूसरों को नुकसान पहुंचाने के मामले बहुत कम सामने आए हैं। यदि परिवार का मुखिया है तो संभव है कि वह डिप्रेशन में खुद को नुकसान पहुंचाने वक्त यह सोचता है कि उसके बाद परिवार के दूसरे सदस्यों का क्या होगा। ऐसी स्थिति में वह परिवार के दूसरे सदस्यों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस केस में कई पहलू उलझे हुए हैं। पहले परिजनों से इस बात की जानकारी करनी होगी कि संबंधित लड़की का पहले से कहीं कोई इलाज चल रहा था या नहीं। उसमें कोई लक्षण थे या नहीं। बिना पूरी जानकारी के कुछ कहना जल्दबाजी होगी। यदि परिवार के किसी सदस्य में लगातार निराशा दिखे। वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न कर पाए।उसके व्यवहार में बदलाव आने लगे।बातचीत में बदलाव दिखे। पहले की तरह बोलने और हंसने मुस्कुराने में भी बदलाव दिखे।भयभीत या सशंकित दिखने लगे। उसे लगे कि अब सब कुछ नष्ट हो जाएगा।अपना काम ध्यान से न कर पाए।अभी तक जो जिम्मेदारी निभाता था उसमें अचानक गड़बड़ी होने लगे।मनोचिकित्सक डॉ आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि बच्चा हो या बड़ा उसके लक्षणों के आधार पर तय किया जाता है कि किस तरह की बीमारी है।