खून की कमी से जूझ रही नसरीन नहीं पसीज रहे जिम्मेदार

 

रिपोर्ट
गौरव गुप्ता
लखीमपुर-खीरी संदेश महल समाचार

महिला वार्ड में भती एक 25 वर्षीय नसरीन को खून की जरूरत है। न ही जिला अस्पताल से उसे खून मिल पा रहा है। और ना ही रिस्तेदार आगे आ रहें हैं।बेटी की जान बचाने के लिए मां का रो-रोकर बुरा हाल है।
बताते चलें कि धौरहरा के अभयपुर निवासी तमीजा ने बताया कि एक माह पहले बेटी नसरीन पत्नी मकदूम का प्रसव हुआ था। कुछ दिन पहले उसकी तबियत खराब हो गई। इस पर 25 जनवरी को जिला अस्पताल लेकर आए। जहां महिला वार्ड में भर्ती इलाज तो शुरू हो गया, लेकिन डॉक्टर ने खून की कमी बताते हुए चढ़वाने के लिए कहा। तमीजा बताती हैं कि इकलौती बेटी है। दामाद भी खून देने की हालात में नहीं है। सगे संबंधी भी दूरी बनाए हुए हैं।अस्पताल के साहब से मिले। उन्होंने भी ब्लड के लिए डोनर लाने को कहा है, लेकिन घर में कोई देने वाला नहीं। सगा संबंधी भी तैयार नहीं। अस्पताल से कोई भी मदद नहीं मिल रही।वार्ड स्टाफ जिम्मेदारियों से झाड़ रहा पल्ला वार्ड में भर्ती नसरीन का वार्ड स्टाफ ने न तो ब्लड ग्रुप मालूम कराया है और न ही इसकी सूचना ब्लड बैंक में दी। स्टाफ का कहना है कि ग्रुप की जांच ब्लड बैंक में होती है। तीमारदार वहां से शीशी लेकर आएं और उसमें रक्त ले जाकर ग्रुप की जानकारी करें। फिर डोनर लाकर रक्त चढ़वाएं। हालांकि विषम परिस्थितियों में ब्लड बैंक स्टाफ स्वयं जरूरतमंदों का सहारा बनता रहा है। अक्सर इस तरह की स्थिति बनने पर ब्लड बैंक कर्मियों ने ही रक्त देकर लोगों की जान बचाई है।
रक्त के अभाव में महिला के वार्ड में भर्ती होने की सूचना नहीं है। यदि वार्ड में उसकी मां रो रही है तो इसके बारे में स्टाफ को बताना चाहिए था, जिससे रक्त मुहैया कराकर एक मां की पीड़ा दूर की जा सके।