रिपोर्ट
जेपी रावत/पीएन सिंह
संदेश महल समाचार
परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधारने की कवायद अब सफल होती नजर आने लगी है। परिषदीय विद्यालयों में कभी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई-लिखाई करते थे वहीं अब बेंच और डेक्स सीट पर बैठ कर पढ़ाई करेंगे।
विभागीय अधिकारियों का प्रोत्साहन व ग्रामीण कड़ी का सहयोग पाकर ऐसे विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक पूरे मनोयोग से शिक्षण कार्य विद्यालय खुलने के पश्चात करेंगे।
किसी ने सच कहा है कि लिफाफा देखकर मजमून पढ लिया जाता है।
इसी कहावत की हकीकत का सही अमलीजामा पहना रहा उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी शिक्षा क्षेत्र सूरतगंज के अंतर्गत आने वाला प्राथमिक विद्यालय रैधरमऊ जो अपनी मनभावन शोभा के लिए आकर्षण का केंद्र है।
दरअसल इस विद्यालय में बच्चों के लिए बेंच और डेस्क भी हैं।किताबें, कॉपी और यूनीफार्म पूर्व से ही बेसिक शिक्षा विभाग से मिल रही हैं।
बल्कि पूरे विद्यालय के शैक्षिक स्तर को सुधारने से लेकर साफ सफाई, विद्यालय की इमारत, बाउंड्री वॉल पर अंकित शिक्षा को बढ़ावा देने वाले स्लोगन, पास बना रसोईघर, विद्यालय परिसर में लगी सीमेंट ईंट आकर्षित करते हैं। विद्यालय में प्रधानाध्यापक आकांक्षा मौर्या सहायक अध्यापक विपिन सिंह तैनात हैं, शिक्षामित्र सरोज वर्मा की भी तैनाती हैं।
विद्यालय में पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किए जा रहे आधुनिक तरीकों से छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावक भी खासे उत्साहित रहते हैं। विद्यालय के अंदर और बाहर की दीवारों पर बेहद शानदार चित्रकारी का आकर्षक रंग हर किसी को मोह रहे हैं।
प्रधानाध्यापिका आकांक्षा मौर्या ने बताया कि जो संसाधन विभाग से मिलते हैं, उनका सही इस्तेमाल किया गया। साथ ही ग्राम प्रधान के अलावा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र सिंह के सहयोग सहित ग्रामीणों की रुचि हमें प्रोत्साहित करती है।