syair hk
slot gacor hari ini
bewin999 link terbaru bewin999 link terbaru bewin999

तपोभूमि लक्खी मेला आज से तैयारियां पूर्ण हजारो श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में लगाई आस्था की डुबकी

 

हिमांशु यादव
मैनपुरी संदेश महल समाचार

सीता ने यहीं गुजारे थे वनबास के दिन महाभारत काल के विधुर का किला के मिलते है प्रमाण समुद्र मंथन में प्रयोग की गयी मथनी का भी है प्रतीक

जनपद मैनपुरी के विकास खण्ड घिरोर क्षेत्र के गाँव विधूना में महर्षि मार्कण्डेय की तपोभूमि पर लगने वाले प्रसिध्द लक्खी मेले का आज से शुभारम्भ हो गया मेले में देश के कोने कोने से आए हजारो श्रध्दालुओं और साधू-संतो ने पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई और मोक्ष की कामना की
महर्षि मार्कण्डेय को सभी तीर्थो के भांजे का दर्जा प्राप्त है माना जाता है कि महर्षि मार्कण्डेय ने अपने तप के बल पर ईश्वर द्वारा दी गई अल्पायु को दीर्घायु में परिवर्तित करा लिया था मेले के अवसर पर महर्षि मार्कण्डेय के देश में फ़ैले हजारो श्रद्धालु कार्तिक की पूर्णिमा को मंदिर पर आकर पूजा अर्चना करते है और मनौतिया मांगते है। मेले के दौरान भारी भीड़ को देखते हुए एस डी एम सदर ने तैयारियां एक दिने पहले ही पूर्ण कर ली है। थानाध्यक्ष घिरोर बी एस भाटी ने तेजतर्रार पुलिस कर्मियों को मेले की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। वही मेले के सफल आयोजन को प्रशासन ने सदर तहसील के राजस्व कर्मियों को भी लगाया गया है। मेले में स्नान घाट ,पेयजल व्यवस्था , सुरक्षा के लिए अस्थायी पुलिस चौकी ,खोया पाया केंद्र एव चिकित्सा व्यवस्थाए की गई है। किदवंती है कि सीता ने यही गुजारे थे वनबास के दिन क्षेत्रीय लोगो की माने तो महर्षि मार्कण्डेय रिषि,के मंदिर से चंद कदमो की दूरी पर बड़ा जंगल था इसी जंगल में वाल्मीकि ऋषि की कुटिया थी इसी वन में राम द्वारा भेजे गए लक्ष्मण सीता को छोड़ कर अयोध्या वापस लौट गए थे। सीता ने वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में शरण ली थी सीता की रसोई के प्रतीक आज भी यहां मौजूद है। समुद्र मंथन में प्रयोग की गई मथानी के प्रमाण आज भी मौजूद है। देवासुर संग्राम के दौरान समुद्र मंथन का कार्य किया गया था उस समय देवता तथा दैत्यों ने मथनी का प्रयोग किया था मार्कण्ड ऋषि के मंदिर के ठीक सामने आज भी समुद्र मंथन में प्रयोग मथनी के प्रतीक चिन्ह मिलते है। महाभारत काल के विधुर के किले के अवशेष आज भी मिलते है। ऐसा बताया जाता है कि विधूना गाँव में महाभारत काल के विधुर का किला था उन्ही के नाम पर इस गाँव का नाम विधूना पड़ा ऐसी किवदंती है कि भगवान कृष्ण ने विधुर के घर झूठे बथुआ के साग का सेवन किया था ऐसा भी माना जाता है कि पांडवो ने अपने अज्ञात वास के दिन भी यहीं गुजारे थे विधुर के टीले से चंद कदमो की दूरी पर पांचो पांडवो के चबूतरे के अवशेष आज भी मौजूद है।