लहरपुर नगरपालिका सीट पर होगा बेहद दिलचस्प मुकाबला

  • रिपोर्ट/- अशोक अवस्थी लहरपुर सीतापुर संदेश महल समाचार

नगर पालिका लहरपुर चुनावी समर भूमि में दमखम दिखा रहे प्रत्याशी

सीतापुर जिले की लहरपुर नगरपालिका सीट अपने अलग सियासी महत्त्व के लिए जानी जाती रही है। इस सीट की खास बात यह रही है कि यहां बीते 30 वर्षों से कभी कोई हिन्दू पालिका के चेयरमैन पद का हकदार नहीं बन सका। फिलहाल वक्त के बदलने के साथ साथ पालिका क्षेत्र में अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर चुका हिन्दू अब निर्णायक की भूमिका अदा करने लगा है जो बेहद अलग महत्त्व रखता है।

पूर्व सांसद कैसरजहां

बात 1989 के पालिका चुनाव से करते हैं। कारण तत्कालीन वर्ष में पालिका चुनाव लंबे वक्त बाद हुए थे। जिसके लिए केंद्र सरकार ने 73 वें और 74 वें संसोधन को उस वर्ष जायज ठहराया था। उस वक्त लहरपुर पालिका क्षेत्र की आबादी लगभग 12 हज़ार के करीब थी और इसमें हिन्दू मुस्लिम मतदाताओं का अलग अलग प्रतिशत 20 और 80 था। उस चुनाव में डॉ ताज और चुन्नू पुरी के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था और डॉ ताज की जीत हुई थी। हालाँकि लगभग 45 वर्ष पूर्व राम दयाल शुक्ला हिन्दू चेयरमैन रहकर पालिका की सेवा कर चुके हैं। इस चुनाव से लगाकर 2012 लगभग आधा दर्जन चुनावों तक हिन्दू मुस्लिम मतदाताओं का जमकर विभाजन हुआ। वहीं 2002 के चुनाव में लहरपुर के मतदाताओं ने एकदम नए चेहरे जासमीर अंसारी को अपना चेयरमैन चुना और धीरे धीरे करके उसे विधायक और उसकी पत्नी कैसरजहाँ जिले का सांसद बनवा दिया।

हाजी जावेद अहमद

2012 के चुनाव में हिन्दू मतदाता अपनी निर्णायक भूमिका में दिखा और हिंदुओं के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे जासमीर को हार का मुंह देखना पड़ा और जिसे लकड़ी व्यापारी हसीन खान ने कुछ ही वोटों से हराया। इस दौरान जासमीर की पत्नी कैसर जहाँ सांसद थीं जो 2014 के चुनाव में भाजपा की लहर में हार गईं। साथ ही 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में तत्कालीन विधायक जासमीर अंसारी ने अपनी 10 साल से कब्जाई सीट भी गवां दी थी। पालिका चुनाव में हाथ आजमां रहे कई दावेदारों के बीच मोहम्मद जासमीर अंसारी ने 2017 के चुनाव में 16096 मतों से जीत दर्ज की थी।

पूर्व चेयरमैन हसीन खान

इस बार नगर पालिका चुनाव में उठापटक मची हुई है प्रमुख रूप से पूर्व सांसद कैसर जहां पूर्व चेयरमैन हसीन खान कद्दावर सपा नेता हाजी जावेद अहमद सपा के ही लोकप्रिय नेता हाजी रफीक अंसारी संग्राम भूमि में अपना दमखम दिखा रहे हैं
कैसर जहां वर्तमान एमएलसी जासमीर अंसारी की धर्मपत्नी बसपा से सांसद चुनी गई थी वह नेक और इमान वाली खूबसूरत महिला नेता मानी जाती है यह भी हकीकत है जासमीर की जिंदगी में जब से कैसर जहां ने कदम रखा है बराबर प्रगति कर रहे हैं हालांकि बहुत लोग चाहते हैं की कैसर जहां सांसद रही हैं उनको नगर निकाय का चुनाव नहीं लड़ना चाहिए लेकिन इस मलाईदार कुर्सी का रुतबा अलग माना जाता है।
हाजी जावेद अहमद नगर के प्रमुख व्यापारिक घराना के शहजादे हैं इस परिवार की नगर में एक अलग छवि रही है हाजी जावेद गरीबों के हमदर्द हैं और इन्होंने कोरोना की मुसीबत में बहुत से गरीबों को खाना चाय नाश्ता आदि का रिकॉर्ड योगदान दिया नगर ही नहीं जनपद के बाहर के लोगों को भी जावेद ने भरपूर मदद की सपा के सिंबल पर इन्होंने जासमीर को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन हसीन खा ने एन वक्त पर जा समीर के पक्ष में आ गए जिससे यह चुनाव हार गए थे जावेद जमकर के लड़ाई लड़ रहे हैं
हसीन खान हिंदुओं की दम पर चेयरमैन बने हसीन खान अपने द्वारा कराए गए विकास कार्यों की वजह से लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे गरीबों के प्रति इनका नजरिया हमेशा मददगार रहा इन्होंने बहुत सी लड़कियों की शादी में चुपचाप मदद की तथा आर्थिक सहयोग दिया जमकर लड़ाई लड़ रहे हैं तथा अपनी नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं इनके बोलने का अंदाज लहरपुर की जनता को काफी पसंद आ रहा है बहुत लोग यह भी कह रहे हैं की जासमीर को चुनाव ना लड़कर हसीन खान के एहसान का बदला चुकाना चाहिए
हाजी रफीक अंसारी कबाड़ के व्यापार में लाखों रुपए पैदा करने का रिकॉर्ड बना चुके हैं सपा के समर्पित नेता है तथा कई बार चुनाव लड़े लेकिन जासमीर के सामने टिक नहीं पाए फिर जा समीर के पाले में चले गए इस उम्मीद के साथ अगला चुनाव हमको यह लड़ा देंगे राजनीति में पारंगत जासमीर हां करते रहे लेकिन खुद लड़ रहे हैं रफीक अंसारी सीधा सरल और सच्चा आदमी है इसीलिए राजनीति में गच्चा खा रहा है इस बार हिंदू मुसलमान दोनों इनका साथ दे रहे हैं। सभी प्रत्याशी संघर्ष कर रहे हैं और जीतने की जद्दोजहद में लगे हैं ताज किसके सर आएगा यह कहना मुश्किल है।