प्रशासनिक अधिकारियों ने की न्यायालय की अवहेलना,कोर्ट के स्टे के बावजूद खोद दिया नाला

बाराबंकी संदेश महल
हर तरफ से निराश होकर आदमी न्यायालय की शरण में जाता है इस उम्मीद के साथ कि अब उसे न्याय मिलेगा लेकिन न्यायिक अधिकारियों के आदेश को दरकिनार कर प्रशासनिक अमला अपनी ही मनमर्जी पर उतारू हो जाए तो इसे आप क्या कहेंगे?

कुछ ऐसी ही खबर है बंकी बिकास खण्ड के गाँव शुक्लाई की यहाँ लगभग पचीस साल पहले एक नाला हुआ करता था जिससे तालाब का पानी निकल जाता था इस नाले को इसी गाँव के निवासी राम करन आदि ने पाटकर अपने खेत में मिला लिया फलतः जल निकासी का मार्ग बन्द हो गया और जलप्लावन कि स्थित पैदा हो गई इसी नाले के पास आँगनबाड़ी केन्द्र व पंचायत भवन के साथ ही आवागमन का मुख्य मार्ग भी यही था रास्ता अवरूद्ध हो जाने से ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से शिकायत की साथ ही मीडिया ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जब राजस्व की टीम ने नाले की पैमाइश की तो पाया यह नाला बिपरीत दिशा में होना चाहिए जिस दिशा में इसी गाँव के निवासी राम दास व लाल बहादुर की जमीन है और इसी के पास कुछ बंजर भूमि भी है चूँकि उक्त लोगों का कब्जा कम है इसलिए इन दोनों ने परिवाद दायर कर रखा है परिवाद के निपटारे तक नाला न खुदे इसलिए यह लोग कोर्ट की शरण में गये और कोर्ट ने अग्रिम सुनवाई तक रोक भी लगा दी किन्तु कुछ राजनैतिक पूर्वाग्रहों के चलते दबाववश प्रशासन ने अदालत के आदेश को धत्ता बताते हुए पुलिस बल के साथ नाला ही नहीं खुदवा दिया बल्कि पीडितों की दीवार तक गिरा दी।अब सवाल यह उठता है कि प्रशासनिक अधिकारियों के आगे न्यायिक अधिकारियों की क्यों नहीं चलती?