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कल्याणं करोति संस्था पर लगा फर्जीवाड़े का आरोप,केंद्र सरकार ने दिए जांच के आदेश

रिपोर्ट
प्रताप सिंह
मथुरा संदेश महल समाचार

शहर की प्रमुख विकलांग कल्याण में जुटी कल्याणं करोति संस्था पर किसी अन्य संस्था के पंजीकरण एवं सामाजिक कार्याें के नाम पर जालसाजी कर राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त करने के आरोप लग रहे हैं। शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री केंद्र सरकार से की है। मंत्रालय द्वारा उप्र सरकार को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।
चाणक्य युवा संगठन के राष्ट्रीय संयोजक आर्य अशोक शर्मा द्वारा केंद्रीय मंत्री सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता थावर चंद गहलोत को पत्र लिखकर कल्याणं करोति संस्था के महासचिव सहित अन्य पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार, संस्था के महासचिव सुनील शर्मा एवं पदाधिकारियों द्वारा जालसाजी वर्ष 2010 में कल्याणं करोति संस्था लखनऊ के रजिस्ट्रेशन के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर लिया गया। साथ ही बडे़ पैमाने पर विकलांगों के नाम पर सरकार से फंड भी हासिल किया। आरोप लगाया गया है। कि कल्याणं करोति मथुरा ने 3 दिसंबर 2010 में फर्जी अर्थात् कल्याणं करोति लखनऊ जो कि एक अलग संस्था है। जिसका 31 अगस्त 1998 को पंजीकरण कराया गया है जिसकी संख्या-109 है। के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किया। जबकि कल्याणं करोति मथुरा संस्था का पंजीकरण 4 सितंबर 2000 में हुआ है और इसका रजिस्टेªशन नंबर एजी 27135 एवं रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र संख्या 892/2000-2001 है। आरोप है कि इस गड़बड़झाले में उप्र विकलांग कल्याण विभाग से मिलकर मंत्रालय की आंखों में धूल झोंक कर डीडीआरएस एवं एडिफ योजना के अंतर्गत बड़े पैमाने पर धनराशि विकलांग संस्था के नाम पर प्राप्त की। शिकायतकर्ता ने दोषियों के खिलाफ जांच कराकर उचित कार्यवाही की मांग की थी। इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के उप सचिव प्रभुदास खलखो द्वारा उप्र सरकार को मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं।
इस संबंध में कल्याणं संस्था के महासचिव सुनील शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कल्याणं करोति संस्था बीते 35 वर्ष से कार्यरत है। इसका पंजीकरण 2 अक्टूबर 1981 से चला आ रहा है और मथुरा की शाखा पहले लखनऊ कल्याणं करोति के अंतर्गत ही कार्य कर रही थी और वर्ष 2000 में मथुरा शाखा का अलग से पंजीकरण कराया गया। जो पुरस्कार लिया गया है वह लखनऊ संस्था के आधार पर लिया गया है। इसमें कोई फर्जीवाड़ा नहीं है। सुनील शर्मा ने शिकायतकर्ता आर्य अशोक शर्मा को ब्लैकमेलर बताते हुए ब्लैक मेल करने के आरोप लगाए। साथ ही कहा कि वह खुद फर्जी आईटीआई संस्थान के संचालन के साथ अन्य काले कारनामों में संलिप्त हैं। इसी फर्जीवाड़े के चलते ही उनके आईटीआई की मान्यता सरकार द्वारा निरस्त कर दी गई। कहा कि आर्य अशोक शर्मा द्वारा अन्य संस्थाओं को भी ब्लैकमेल करने एवं बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।