हाईकोर्ट के निर्देशों की जिम्मेदार जमकर उड़ा रहे धज्जियां

रिपोर्ट
पंकज शाक्य
कुरावली/ मैनपुरी संदेश महल समाचार

हाथों में पॉलिथीन, ठेंगे पर कानून

कस्वा में अमानक पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध दिखावा साबित हो रहा है। खुलेआम दुकानदार 20 से कम माइक्रॉन की पॉलीथिन का इस्तेमाल कर रहे हैं।लेकिन प्रशासन और नगर पंचायत द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि पूर्व ही पर्यावरण के मद्देनजर अमानक पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया गया था। शुरुआत में तो कस्वा में पॉलीथिन की जगह कागज के ठोंगे व थैले ने ले लिया था। लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण एक बार फिर से प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग बढ़ गया है।

जागरुकता अभियान भी हुआ फेल

पॉलिथीन के इस्तेमाल को कम करने के लिए कस्वा की सामाजिक संस्थाओं द्वारा व नगर पंचायत द्वारा जागरुकता अभियान भी चलाया गया था। पॉलिथीन के बदले कागज का थैला बांट कर लोगों से तय मानक से कम के पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करने का अनुरोध किया गया था। जागरुकता अभियान के दौरान दुकानदारों ने भी नियम का पालन करने की बात कही थी। लेकिन अब कस्वा के सब्जी, फल, दूध और किराना दुकानों में दुकानदारों द्वारा खुलेआम कम मानक के पॉलीथिन दिए जा रहे हैं।

जुर्माना वसूलने का है प्रावधान

कस्वा में 40 माइक्रोन से कम मोटाई की पॉलिथीन बैग के निर्माण व उपयोग पर प्रतिबंध है। नियम का पालन न करने वालों को आईपीसी की धारा 133 (बी) के तहत सजा मिल सकती है। इसके अलावा म्युनिस्पैलिटी एक्ट की धारा 155 के तहत नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना वसूलने का प्रावधान है।

पॉलीथिन में भर कर फेंक देते हैं कचरा

कस्वा में कचरा डंपिंग स्थल में यूज किए पॉलीथिन की भरमार है। इससे पता चलता है कि लोग घर के कचरे इसमें भर कर सड़क किनारे या नालियों में फेंक देते हैं। जिसके कारण एक ओर जहां नाली जाम हो जाती है। इसके कारण बारिश होते ही नालियों का पानी सड़क पर बहने लगता है। इससे आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ जाती है।

पशुओं पर भी पड़ रहा खतरनाक असर

इंसान के साथ-साथ पॉलीथिन पशुओं को भी बीमार कर रहा है। कूड़ा-कचरा में फेंके गए पॉलीथिन को खाने से पशुओं की पाचन क्रिया धीरे- धीरे बंद हो जाने से पशुओं की मौत हो जाती है। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि पॉलीथिन दुधारू पशुओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है।

भू- जल और पर्यावरण को नुकसान

पॉलीथिन की वजह से भू -जल का स्तर गिरने के साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरणविद् के अनुसार पॉलीथिन एक ऐसा वेस्ट है जिसके गलने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। यह जिस जमीन पर डाल दिया जाता है, वह बंजर हो जाती है। बारिश का पानी वहां पर जाना पूरी तरह से बंद हो जाता है। जिसके कारण उस इलाके की हरियाली भी धीरे- धीरे खत्म होने लगती है।

क्या है स्थिति

40 से कम माइक्रॉन की पॉलीथिन पर है बैन

20 से भी कम माइक्रॉन की पॉलीथिन मिल रही बाजार में

हजारों किलो प्लास्टिक वेस्ट निकलता है कस्वा में प्रतिदिन

01 जगह डंपिंग करने की है व्यवस्था

पॉलीथिन गलने में लगता है समय

02 सप्ताह में गलता है ऑर्गेनिक वेस्ट

03 सप्ताह में गलता है पेपर वेस्ट

20 सप्ताह में गलता है कॉटन के कपड़े का वेस्ट

15 साल में गलता है लकड़ी से बने सामान का वेस्ट

01 मिलियन वर्ष लगते हैं प्लास्टिक वेस्ट को गलने में

बढ़ गई बीमारी

पॉलिथीन खाने से पशुओं में बीमारी पहले की तुलना में बढ़ गई है। पॉलिथीन खाने से पाचन क्रिया बंद हो जाता है। दूध कम देने लगती है। इसके साथ पशुओं की मौत की संख्या में इजाफा हो रहा है।