रामकुमार मौर्य
बाराबंकी संदेश महल समाचार पत्र
साईकिल दिवस पर विशेष
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सबसे बढ़िया साइकिल और रिक्शा यातायात के साधन है 3 जून दो हजार अट्ठारह में पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाया गया। तब से आज तक प्रतिवर्ष यह साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम 12 जून 1817 को जर्मन देश ने पहली साइकिल पेश की थी 1960 से लेकर 1990 तक साइकिल का चलन था। लेकिन वर्तमान समय में लोग सबसे ज्यादा मोटरसाइकिल,जीप, कार का चलन तेज हो गया और साइकिल का चलन धीरे-धीरे कम होने लगा। जिसके चलते पर्यावरण पर बुरा असर पड़ा। आज यह स्थिति है की धीरे-धीरे पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है। जिसके चलते लोगों में अनेक बीमारियां अपना स्थान स्थापित कर चुकी है ।जीव जंतु सभी परेशान है। अगर पर्यावरण का शासन प्रशासन सुधार चाहता है तो तेल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाया जाए और पैर से चलाने वाले व इलेक्ट्रॉनिक से चलने वाले वाहनों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा किया जाए। तभी पर्यावरण पर सुधार हो सकता है। जब साइकिल का चलन हुआ उस समय भी बहुत कम लोगों के पास साइकिले होती थी ।अगर शहर, गांव का कोई व्यक्ति नई साइकिल लाता था। तो लोग उसे देखने के लिए जाते थे। तथा उसके विषय में जानकारियां लेते थे ।उस समय हरकुलिस, एटलस, हीरो जैसी अनेक कंपनियों ने साइकिल निकाली। जिसमें हरकुलिस साइकिल सबसे पहले आई ।जिसको देखने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती थी। इस साइकिल में कैची के पास साइकिल लॉक करने की व्यवस्था थी और यह साइकिल बहुत सरल रूप में चलती थी। क्योंकि इसकी कैची बहुत अच्छी थी इस साइकिल की कैंची पैर वाले रिक्शा के सामान थी। धीरे-धीरे देश में साइकिल का चलन बढ़ गया। अमीर से लेकर गरीब तबके के लोग भी साइकिल खरीदने लगे और इसी से दूरदराज की यात्राएं भी लोग करने लगे। साइकिल से दूधिया दूध बेचे थे ।लोग सब्जी बेचने से पोस्टमैन साइकिल द्वारा पोस्ट कार्ड का वितरण करते थे ।पुलिस विभाग में सिपाही से लेकर दरोगा तक सभी साइकिल का प्रयोग करते थे। पर्यटक साइकिल से देशों का भ्रमण करते थे ।बहुत से लोग साइकिल से तीर्थों का भ्रमण करते थे। लेकिन आज धीरे-धीरे साइकिल का चलन कम होता जा रहा है। फिर भी नन्हे मुन्ने बच्चे भी सबसे पहले साइकिल ही चलाना सीखते हैं। आज के युग में नन्हे मुन्ने बच्चे साइकिल सड़कों पर खूब चला रहे हैं ।जबकि वर्तमान समय में छोटी साइकिलो की कीमत आसमान छू रही है। और बड़ी साइकिलो की भी कीमतें काफी बढ़ गई है ।जिसके चलते बहुत कम लोग साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं। क्योंकि साइकिल का स्थान मोटरसाइकिल ले लिया है। जबकि पेट्रोल इतना महंगा है फिर भी घर-घर में हर बच्चे के अलग-अलग मोटरसाइकिल हो गई है। महंगाई का बिना प्रवाह किए लोग धुआंधार के साथ मोटरसाइकिल सड़कों पर दौड़ा रहे हैं ।जिसके चलते क्षेत्र में दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं। आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। दुर्घटनाएं और पर्यावरण को अगर प्रदूषण से रोकना है तो साइकिल का चलन फिर से होना चाहिए। नगर पंचायत में कार्यरत हरिनारायण शुक्ला कहते हैं कि साइकिल से बढ़िया कोई सवारी नहीं है। हम लोग काफी दिनों से साइकिल ही चला रहे हैं। इसमें शरीर को सकून रहता है। सब्जी बेचने वाले बाल गोविंद मौर्य, शिवराज, देशराज दूध बेचने वाले गौरी शंकर ,सुभाष पेपर वितरण करने वाले ओमप्रकाश लोधी बताते हैं कि हम लोग आज भी साइकिल का ही प्रयोग कर रहे हैं। इसमें न तो तेल भरवाने की जरूरत है और न ही मरम्मत कराने में अधिक पैसा लगता है। इसलिए हम लोगों के लिए साइकिल से अच्छा कोई यातायात सुविधा नहीं है। पूरे देश में फिर से साइकिल का चलन होना चाहिए। बेमतलब पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा रोका जा सके और पर्यावरण सुरक्षित रह सके। जब पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो जीव जंतुओं को भी सुरक्षा मिलेगी। आज लोगों को स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर भी साइकिल चलाने के लिए कह रहे हैं ।क्योंकि जो व्यक्ति साइकिल का प्रयोग करता है ।उसको बीमारी कम होती है और शरीर स्वस्थ रहता है।