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रिपोर्ट
विनोद कुमार दूबे
संतकबीरनगर संदेश महल समाचार

जनपद के नाथनगर ब्लाक क्षेत्र ग्राम सभा खिरिया में श्री श्री 108 श्रीरुद्र महायज्ञ के अंतर्गत श्री राम कथा का द्वितीय दिवस का प्रसंग बड़ा ही मार्मिक शिव पार्वती का विवाह रहा अयोध्या धाम से पधारे पूज्य श्री देवांश जी महाराज (बाल संत) ने बताया कि भारतीय सभ्यता एवं भारतीय संस्कृति श्री राम कथा को जोड़ने का प्रयास करती है इसी के साथ साथ उन्होंने इसकी व्याख्या करते हुए कहा आजकल की संस्कृति भारतीय समरसता के साथ-साथ विलुप्त हो जा रही है हम सबको मिलकर इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए उन्होंने बताया कि यज्ञ में 33 कोटि देवी देवताओं का आवाहन किया जाता है और यज्ञ लोगों को जोड़ने का प्रयास करती है यज्ञ के हवन से जो धुआ निकलता है वह समस्त वायुमंडल को शुद्ध करता है और यज्ञ से जो राख निकलता है , उस राख का इतना प्रभाव है कि उसका चंदन लगाकर निकलने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं।सृष्टि के प्रादुर्भाव काल में जब पहले- पहल मनुष्य इस धरती पर अवतीर्ण हुआ तो यहां इसे बहुत अभाव आसक्ति और कष्ट दिखाई दिए मनुष्य अपने पिता ब्रह्मा जी के पास गए और अपनी सारी व्यथा कह सुनाई ब्रह्मा जी कुछ देर तक विचार करते रहे, इसके बाद उन्होंने मनुष्य से कहा “जाओ यज्ञ करो, आहूतियों से संतुष्ट हुए देवता तुम्हारी कामनाएं पूर्ण करेंगे, शक्ति प्रदान करेंगे जिससे तुम्हारा जीवन सब प्रकार से सुखी होगा।इसके बाद ब्रह्मा जी ने यजुर्वेद का निर्माण किया जिस प्रकार ऋग्वेद के मंत्रों में विश्व दर्शन सूक्ष्मतिसूक्ष्म ज्ञान तथा तात्विक मीमांसाए भरी हुई हैं उसी प्रकार यजुर्वेद में यज्ञों से कामनाओं के पूर्ण होने का विशद विज्ञान भरा पड़ा हैl इस यज्ञ विद्या का पंडित होने के कारण ही भारतवर्ष किसी समय धन- धान्य से परिपूर्ण, सर्व मुखी एवं सर्व समुन्नत रहा है।यज्ञ की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए शास्त्रकार ने उसे भारतीय संस्कृत का पिता कहा है और उसके द्वारा मनुष्य की संपूर्ण कामनाओं की पूर्ति होने की बात को प्रमाणित किया है
इस प्रकार पूज्य श्री देवांश जी महाराज की ओजपूर्ण वाणी को सुनकर लोग भाव विभोर हो उठे तथा अमृत कथा का रसपान करते हुए भक्तिमय माहौल में लोग झूमने लगे।इस अमृत रूपी कथा का रसपान करने के लिए खिरिया मरवटिया जमुनी कोड़रा भुआल्पट्टी मोलनापुर चकमहुआ शनिचरा कड़सर पीड़ारी दूर-दराज से पुरुष महिलाएं एवं बच्चे उपस्थित हुए एवं यज्ञ के व्यवस्थापक ब्रह्मदेव पाठक उर्फ बी डी बाबा सिद्धनाथ पाठक प्रमोद पाठक मनोज राय विजय बहादुर पाठक दीपक पाठक परशुराम राय आकाश पाठक अश्वनी राय मनीष राय उपेंद्र राय रामकिशन राय जगराम राय पवन राय दीपक गौड़ आदि तमाम लोग मौजूद थे।