रिपोर्ट
प्रताप सिंह
मथुरा संदेश महल समाचार
यम द्वितीया पर्व पर यमुना में यम की फांस से मुक्ति के लिए हाथ पकड़ कर स्नान कर रहे हैं। स्नान के बाद बहनें आरती करते हुए भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना कर रही हैं। भाई बहनों ने मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट स्थित धर्मराजजी और यमुना जी के मंदिर के दर्शन किए। प्रात:काल 2:30 बजे आरती होने के पश्चात यमुना जी में स्नान करने के लिए लोग उतर गए। बीते वर्ष के मुकाबले हालांकि काफी कम संख्या में ही बाहर से श्रद्धालु भाई-बहन स्नान के लिए इस बार मथुरा आए हैं। लोगों को आशंका थी कि प्रशासन ने कहीं यमुना जी में स्नान पर प्रतिबंध न लगा रखा हो जिला प्रशासन और नगर निगम ने कई दिन से स्नान कराने के लिए सुव्यवस्थाएं कर ली थी। नगर निगम के नगर आयुक्त रविंद्र कुमार मादंड ने यमुना जी के सभी घाटों की साफ-सफाई कराई प्रकाश व्यवस्था के प्रबंध किए गहरे पानी से बचाव के लिए यमुना जी में बल्ली लगाई गई है। निगम के कर्मचारी रात्रि 12:00 बजे से ही सभी घाटों पर मुस्तैदी से ड्यूटी करने के लिए सजग दिखाई दिए। वही स्नान करने वालों की भीड़ देखकर पंडा समाज के लोगों के चेहरे पर हल्की सी चमक दिखाई दी क्योंकि पिछले 8 महीने से कोराना काल के चलते तीर्थयात्री मथुरा नहीं आ पा रहा है। उस कारण उनके सामने रोजी कर रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न है। आज उनको दान दक्षिणा मिलने की आस लगी हुई है।
धार्मिक मान्यता है कि यम द्वितीया के दिन भाई बहन विश्राम घाट स्थित यमुना तट पर स्नान करें तो उन्हें यम की फांस से मुक्ति मिलती है। इसी कारण भाई बहन यमुना स्नान कर रहे हैं। स्नान के बाद बहन और भाइयों ने धर्मराजजी और यमुनाजी के मंदिर के दर्शन किए। बहनों ने भाइयों के टीका कर लंबी उम्र की प्रार्थना की। भाई बहनों ने एक दूसरे को उपहार भी दिए हैं। विश्राम घाट आने वाले मार्गों पर श्रद्धालुओं की कतार लग रही है। विश्राम घाट पर आस्था का ज्वार उमड़ रहा है। श्रद्धालुओं का आना तड़के ही शुरू हो गया था । स्नान के लिए प्रशासन ने भी सुरक्षा के इंतजाम किए हैं।
द्वापर युग में यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने यम द्वितीया के दिन विश्रामघाट पर आए थे। यमुनाजी ने यमराजजी का आदर-सत्कार किया। धर्मराज ने यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा। यमुनाजी का कहना था कि वह कृष्ण की पटरानी है। क्या मागे। धर्मराज ने फिर भी वरदान मांगने के लिए यमुनाजी से कहा। इस पर यमुना जी ने कहा कि जो मेरे अंदर स्नान करे, वह बैकुंठ जाए। यमराज का कहना था कि इस पर तो मेरा लोक ही सुना हो जाएगा, लेकिन आज के दिन जो भाई-बहन विश्रामघाट पर हाथ पकड़कर स्नान करेंगे और इस मंदिर के दर्शन करेंगे, वह यमलोक न जाकर बैकुंठ जाएंगे।
मंदिर के पुजारी शैलेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि भाई-बहन यमुना में स्नान करने के बाद इस मंदिर के दर्शन करते हैं। यमुनाजी और धर्मराजजी का मंदिर केवल मथुरा में हैं। जिनके भाई-बहन नहीं होते है। वह अपने तीर्थ पुरोहित के स्वजन को भाई-बहन बनाते हैं। इसके बाद यमुना में स्नान कर भाई-बहन के रिश्ते के बंधन में बंध जाते हैं।