इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला यूपी के स्कूल-कॉलेजों में व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक

जेपी रावत
इलाहाबाद संदेश महल समाचार
उत्तर प्रदेश के स्कूलों और कॉलेजों में अब किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि नहीं की जा सकेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि शैक्षणिक संस्थान केवल शिक्षा प्रदान करने के लिए होते हैं, न कि व्यापार या मेला लगाने के लिए।

मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाया। याचिका में मांग की गई थी कि एक सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज में आयोजित किए जा रहे वाणिज्यिक मेले को रोका जाए, क्योंकि कॉलेज की जमीन का उपयोग केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।

अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों — चाहे वे सरकारी हों, सहायता प्राप्त हों या निजी — की भूमि, भवन और खेल मैदानों का उपयोग किसी भी रूप में वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि यह आदेश पूरे राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होगा। अदालत ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि संस्थानों की अचल संपत्तियों का उपयोग शिक्षा से इतर किसी भी व्यावसायिक प्रयोजन के लिए करना कानून के विरुद्ध होगा।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता आज़ाद खान ने बताया कि यह निर्णय शिक्षा की पवित्रता को बनाए रखने और संस्थानों को व्यापारिक केंद्र बनने से रोकने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि इस फैसले को लागू करने के लिए एक स्पष्ट सर्कुलर जारी किया जाए। इस सर्कुलर में सभी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और शैक्षणिक संस्थानों को यह आदेश भेजा जाए ताकि आदेश की प्रति मिलने की तारीख से एक महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

कोर्ट के इस फैसले को शिक्षा जगत में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय उन संस्थानों के लिए सख्त संदेश है जो अपनी जमीनों और इमारतों का उपयोग मेले, व्यापारिक प्रदर्शनी या अन्य व्यावसायिक कार्यों के लिए कर रहे थे।

अब राज्य सरकार पर यह जिम्मेदारी है कि वह हाईकोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित करे और शिक्षा संस्थानों की पवित्रता को बरकरार रखे।