2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर जबरन लागू टीईटी नियम को वापस लिया जाए — शिक्षकों की मांग

सूरतगंज बाराबंकी संदेश महल
ब्लॉक संसाधन केंद्र प्राथमिक विद्यालय करनपुर में बृहस्पतिवार को आयोजित संकुल शिक्षकों की मासिक बैठक के समापन के बाद परिषदीय शिक्षकों ने एकजुट होकर टीईटी (Teacher Eligibility Test) की अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष अरविंद प्रताप सिंह के नेतृत्व में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सा लिया। शिक्षकों ने भुजाओं पर काली पट्टियाँ बांधकर विरोध जताया और हस्ताक्षर अभियान चलाकर अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से दर्ज कराई।
शिक्षक प्रतिनिधियों का कहना था कि वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए अब टीईटी को अनिवार्य बनाना पूरी तरह अनुचित और अन्यायपूर्ण है, क्योंकि उस समय की नियुक्तियाँ तत्कालीन नियमों के तहत हुई थीं। शिक्षक पहले से ही कई बार सेवा सत्यापन, प्रशिक्षण, निरीक्षण और गुणवत्ता मूल्यांकन की प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। अब दोबारा टीईटी थोपना उनकी वर्षों की सेवा और योग्यता पर प्रश्नचिह्न लगाने जैसा है।
शिक्षक एम.आई. नादिम ने बताया कि इस अवसर पर एक ज्ञापन तैयार कर खंड शिक्षा अधिकारी श्री संजय कुमार को सौंपा गया, जिसे माननीय प्रधानमंत्री तथा केंद्रीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार के नाम संबोधित किया गया है। ज्ञापन में मांग की गई है कि 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की बाध्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस निर्णय शीघ्र नहीं लिया, तो शिक्षक संघ प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की राह अपनाने को विवश होगा।
संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षकों की यह एकता केवल व्यक्तिगत हित के लिए नहीं, बल्कि शिक्षक सम्मान और व्यवस्था की गरिमा के लिए है। उन्होंने कहा कि “हम वर्षों से बच्चों के भविष्य को सँवारने में लगे हैं। हमारी योग्यता और निष्ठा पर सवाल उठाना अस्वीकार्य है।
इस विरोध प्रदर्शन में कई संकुल शिक्षकों, सह-प्रभारी शिक्षकों और ग्राम स्तरीय शिक्षकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान वातावरण में शिक्षक एकता के नारे गूंजते रहे — “टीईटी की जबरन शर्त नहीं चलेगी” और “पुराने शिक्षकों का अपमान बंद करो” जैसे नारों के साथ आंदोलन का स्वर और मुखर हो गया।