शासनादेश जारी — बिना अनुमति संबद्ध किए गए शिक्षकों-कर्मचारियों को तत्काल मूल पदों पर भेजने का आदेश, भविष्य में भी बिना शासन अनुमति संबद्धीकरण पर रोक
लखनऊ संदेश महल
उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभागों में बड़ा प्रशासनिक निर्णय लेते हुए सभी संबद्ध शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को उनके मूल तैनाती स्थलों पर वापस भेजने का निर्देश जारी किया है। शासन ने यह कदम नियम विरुद्ध संबद्धीकरण की शिकायतों को देखते हुए उठाया है।
अपर मुख्य सचिव (बेसिक व माध्यमिक शिक्षा) पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया है। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि शासन की अनुमति के बिना अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा जिन शिक्षकों या कर्मचारियों को उनके मूल तैनाती स्थान से इतर कहीं संबद्ध किया गया है, उनका संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाए और उन्हें मूल स्थान पर लौटाया जाए।
शासन ने दोनों निदेशालयों—बेसिक शिक्षा निदेशक और माध्यमिक शिक्षा निदेशक—से 10 दिन के भीतर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। आदेश में यह भी चेतावनी दी गई है कि भविष्य में किसी भी अधिकारी, शिक्षक या कर्मचारी को बिना शासन की पूर्व अनुमति के किसी अन्य स्थान पर संबद्ध नहीं किया जाएगा।
भ्रष्टाचार पर भी लगेगी लगाम
शासन के अनुसार, फिलहाल प्रदेश में लगभग 4500 शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी अपने मूल विद्यालयों से इतर विभिन्न कार्यालयों और संस्थानों में संबद्ध हैं। इनमें से कई मामलों में संबद्धीकरण नियमों के विरुद्ध पाया गया है। सरकार का मानना है कि इन संबद्धीकरणों के खत्म होने से कार्यालयों में चल रही मनमानी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा तथा शिक्षण व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन बढ़ेगा।
अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि इस आदेश का तत्काल पालन सुनिश्चित किया जाए और किसी भी प्रकार की लापरवाही पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
विशेषज्ञों की राय:
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से जहां स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लंबे समय से विभागीय कार्यालयों में संबद्ध होकर कार्य कर रहे शिक्षकों को अब फिर से कक्षा में लौटना होगा, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।