लेखक —
जयप्रकाश रावत
सामाजिक चिंतक एवं ‘संदेश महल’ के संपादक हैं।

जैसे-जैसे रोशनी का पर्व दिवाली करीब आता है, वैसे-वैसे उल्लुओं पर अंधकार का साया गहराने लगता है। जहां एक ओर घर-आंगन दीपों से जगमगा उठते हैं, वहीं दूसरी ओर जंगलों में छिपे ये निशाचर पक्षी शिकारी तंत्र-मंत्र और लालच की भेंट चढ़ने लगते हैं।

दिवाली और उल्लू का रिश्ता
हिंदू मान्यताओं में मां लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू को माना गया है। मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा गया है। ऐसे में अंधविश्वास से ग्रस्त कुछ लोग यह मान लेते हैं कि यदि दिवाली की रात उल्लू की बलि दी जाए, तो लक्ष्मी सदा उनके घर में निवास करेंगी। यही कारण है कि दिवाली के दिनों में उल्लुओं की तस्करी और हत्या के मामले बढ़ जाते हैं।

अंधविश्वास का बाजार
जानकारी के अनुसार, कुछ तांत्रिक और तस्कर दिवाली से हफ्तों पहले ही जंगलों में सक्रिय हो जाते हैं। वे उल्लुओं को फंसाने के लिए जाल बिछाते हैं और फिर काले बाजार में इन्हें हजारों से लाखों रुपए तक में बेचते हैं। कई जगहों पर यह भी मान्यता है कि उल्लू की चोंच से शत्रु को परास्त किया जा सकता है या उसके पैर तिजोरी में रखने से धन-संपत्ति आती है।
इन अंधविश्वासों के कारण यह मासूम पक्षी हर साल अपनी जान गंवाता है।
क्या झेलते हैं उल्लू?
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, दिवाली से करीब एक माह पहले ही उल्लुओं को पकड़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है। पकड़े गए उल्लुओं को अंधेरे में रखा जाता है, शराब और मांस खिलाकर उन पर कथित तांत्रिक क्रियाएं की जाती हैं।
कुछ मामलों में इन्हें दिवाली की रात ‘बलि’ के नाम पर मार दिया जाता है। यह सब मानवीय संवेदनाओं के विरुद्ध है और कानूनन भी अपराध है।
क्या कहता है कानून?
भारत में उल्लू एक संरक्षित पक्षी है।
भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में इसे शामिल किया गया है, जिसका अर्थ है कि इसे पकड़ना, बेचना या मारना पूरी तरह गैरकानूनी है। ऐसा करने पर तीन साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
फिर भी, लालच और अंधविश्वास के कारण उल्लुओं की तस्करी हर साल देखी जाती है।
जागरूकता ही समाधान
दिवाली की असली रोशनी वही है जो जीवन में ज्ञान, करुणा और संवेदना की लौ जलाए। उल्लुओं की रक्षा करना केवल कानून का पालन नहीं, बल्कि प्रकृति और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखने की जिम्मेदारी भी है।
आइए, इस दिवाली हम प्रण लें कि किसी भी अंधविश्वास या तांत्रिक भ्रम के कारण किसी जीव को हानि नहीं पहुँचने देंगे।
मां लक्ष्मी वहीं निवास करती हैं, जहां दया, धर्म और सत्य का दीपक जलता है।